chut ki kahani | सेक्सी चुत की कहानी | Hot sexy

आज मेरी शादी की पहली chut ki kahani और चुदाई की कहानी की रात थी और मेरा दिल ही नहीं कर रहा था कि मैं अपने दुल्हन के पास जाऊं जो ना जाने कितनी देर से शादी के बाद सज धज कर मेरे कमरे में बैठी मेरा इंतजार कर रही थी मेरी उम्र 26 साल थी और इस उम्र में हर लड़के की इच्छा होती है कि उसकी शादी हो जाए और आज मेरी शादी हो चुकी थी मेरे घर में शादी का बस एक छोटा सा

chut ki kahani

फंक्शन रखा गया था कुमकुम की लाइट से घर को सजाया गया था ताकि यह महसूस हो सके कि इस घर में कोई खुशी का माहौल चल रहा है यह घर मेरा नहीं था बल्कि मेरी मुंह बोली मौसी का था उनके पति का काफी सालों पहले देहांत हो चुका था और मेरी मांसी अकेली थी और मैं भी अकेला था इसलिए मांसी ने मुझे कहा तुम मेरा बेटा बनकर रहो मेरा कोई बेटा

Hindi me chut ki kahani | सेक्सी चुत की कहानी 

नहीं है मांसी मेरी मां की सहेली थी और सगी बहनों की तरह दोनों में प्यार था एक ही मोहल्ले में रहती थी साथ खेलकर और पढ़कर बढी हुई थी और यह साथ उनका मर्द दम तक नहीं छूटा था मेरी मां के जाने के बाद भी मेरी मां की यह सहेली मुझे बहुत प्यार करती थी और मुझे भी वह मेरी सगी मांसी ही लगती थी उन्होंने कहा तुम मेरा बेटा बनकर

मेरे पास रहो मेरा कोई बेटा नहीं है मुझे भी एक घर की जरूरत थी और मांसी को सहारे की जरूरत थी इसलिए मैं बिना झिझक उनके घर में रहने के लिए आ गया मैं पिछले तीन साल से इस घर में रह रहा था यहां पर मासी और उनकी छोटी बेटी रहती थी 3 साल पहले मांसी की बेटी की उम्र 12 साल की थी और मैं उसे बच्चों की तरह ही समझता था लेकिन वही 12

साल की बच्ची आज 15 साल की होकर मेरी दुल्हन के रूप में ही मेरे कमरे में बैठी हुई थी वह कमरा जो मांसी ने इस घर में मेरे नाम का रखा था और मैं तीन साल से इसी कमरे में रहता था लेकिन मैंने कभी यह सोचा नहीं था कि मेरी शादी मेरी मुंह बोली मांसी की पम साल की बेटी से हो जाएगी वह अंदर कमरे में बैठी हुई थी और मैं बाहर

टीवी हाल में सोफे पर बैठा हुआ था मांसी शायद सोने के लिए चली गई थी और जो थोड़े बहुत मेहमान थे वह भी घर वापस चले गए थे लेकिन मैं कशमकश में था कि कमरे में जाऊं या ना जाऊं मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि मैं एक 15 साल की लड़की के साथ पति-पत्नी का रिश्ता कैसे निभाऊंगा मुझे सोचते हुए ही अजीब लग रहा था कि मैं उस छोटी सी बच्ची के साथ

क्योंकि वह जैसे भी थी अभी बहुत ही कम उम्र थी और छोटी बच्ची ही थी मैंने बस अपनी मांसी के कहने पर यह शादी की थी हां अगर रागिनी थोड़ी सी बड़ी होती वह 15 की जगह 18 या 20 साल की होती तो फिर भी मैं शादी से खुश हो जाता है क्योंकि वह बहुत ही प्यारी लड़की थी और मुझे उससे शादी करने पर कोई ऐतराज ना होता मुझे ऐतराज

सिर्फ और सिर्फ रागिनी की कम उम्र होने पर था उससे ज्यादा मुझे कोई मतलब नहीं था लेकिन मासी ने कुछ इस तरह से जज्बाती तौर पर ब्लैकमेल किया कि मैं इंकार ना कर सका मैंने तो मांसी से यह कह दिया कि मैं अभी रागिनी के साथ फेरे ले लेता हूं लेकिन विदाई बाद में कर देना जब वह बड़ी हो जाएगी तब तक मैं अपने दोस्त के पास दुबई

चला जाता हूं और वहां कुछ काम धंधा करूंगा कुछ पैसे भी हो जाएंगे उसके बाद आप विदाई कर देना मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा लेकिन मांसी कहने लगी नहीं मुझे विदाई भी आज ही करनी है मुझे विदाई वाली बात समझ नहीं आई असल में तो हम एक ही घर में रहते थे ऐसा नहीं था कि इस घर से दूस दरे घर रागिनी को विदा होकर जाना था विदाई से पहले मेरा

मतलब यही था कि जिस तरह से पति-पत्नी एक रिश्ते में बं जाते हैं एक दूसरे के होते हैं वह शुरुआत हम अभी नहीं करेंगे जब रागिनी बड़ी हो जाएगी तब करेंगे यानी आज से चार पाच साल के बाद क्योंकि मैं इतनी छोटी सी लड़की से शादी करने को कानूनी जुर्म समझता था और यह वाकई कानूनी जुर्म ही था इसलिए खामोशी से मांसी ने मेरी शादी

करवा दी वरना अगर बात पुलिस तक पहुंच जाती है तो पुलिस हमारे घर आ जाती क्योंकि इस मामले में कानून भी बहुत सख्त हो चुका है इस शादी को लेकर मैं काफी हद तक डरा हुआ भी था मेरा फ्यूचर भी शादी की वजह से खराब हो सकता था अगर किसी ने पुलिस में जाकर या कोर्ट में जाकर चुगली कर दी कि मैंने एक कम उम्र लड़की से शादी की है तो यकीनन

मुझे कोई ना कोई सजा तो मिल ही जानी थी यही सब सोचकर और उदास होकर सोफे पर बैठा हुआ था कि मेरी मांसी के कमरे का दरवाजा खुला और वह बाहर आ गई और मेरी तरफ हैरत से देखने लगी और मुझसे कहा तुम अभी तक अपनी दुल्हन के पास नहीं गए हो वह तुम्हारा इंतजार कर रही है मांसी के मुंह से यह बात सुनकर मुझे ना जाने क्यों अजीब लगा था मैं

अपने दिमाग में सवाल का जवाब सोच रहा था कि मांसी को क्या जवाब दूं मैं उनसे क्या कहता कि मैं दुल्हन के पास नहीं जाना चाहता यह कहकर मैं मांसी से नजरें चुरा लिया अगर वह वाकई में दुल्हन बनने के काबिल होती है तो मुझे जाने में कोई ऐतराज नहीं था लेकिन वह तो एक छोटी सी 15 साल की बच्ची थी और उसकी उम्र तो गुड़ियों से

खेलने की थी मैंने कहा कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है तो मांसी ने कहा कोई बहाना नहीं चलेगा तुम्हें अपनी दुल्हन के पास जाना होगा मैं बड़े अरमानों से अपनी बेटी की शादी तुमसे की है अब इस तरह से तुम मेरी बेटी को धुत का नहीं सकते हो मांसी की बात पर मैं हैरान हो गया यह धुत करने वाली बात कहां से आ गई वह शायद मेरी बात समझते हुए

भी नहीं समझ पा रही थी मजबूरन मुझे वहां से उठना पड़ा और रागिनी के पास जाना पड़ा जैसे ही मैंने कमरे का दरवाजा खोला तो देखा रागिनी पूरे दुल्हन के रूप में तैयार होकर सर झुकाए बैठी है मुझे ना जाने क्यों रागिनी को देखकर बहुत दुख हुआ था वह छोटी सी बच्ची थी और मांसी की जिद की वजह से हम दोनों इस बेजोड़ रिश्ते में बंद गए

थे मैंने फैसला कर लिया था कि मैं उसके साथ कुछ भी गलत नहीं करूंगा जब तक कि वह 18 साल की नहीं हो जाती मैं उसके साथ कोई रिश्ता नहीं बनाऊंगा मैं उसके करीब जाकर खड़ा हो गया लेकिन बैठा नहीं था मैंने उससे कोई बात नहीं की वह सर झुकाए बैठी थी वह इस समय इतनी हसीन लग रही थी कि मैं उसके हुस्न को शब्दों में बयान नहीं कर सकता था उसकी उम्र 15

साल थी लेकिन उसका मेकअप कुछ इस तरह से किया गया था कि वह अपनी उम्र से बड़ी लग रही थी लेकिन मेकअप से क्या होता है वह तो इतनी बड़ी नहीं थी ना वह छोटी ही थी और मैं कैसे उसके साथ कोई रिश्ता बना सकता था मैंने खामोशी से तकिया उठाया और सामने सोफे पर जाकर सोने लगा तो उसने हैरत से मेरी तरफ देखा फिर थोड़ी देर बाद बोली कि

आप बेड पर ही सो जाएं सोफा तो बहुत छोटा है और आप तो अच्छे खासे लंबे हैं आपको सोने में परेशानी होगी उसकी बात सुनकर मैं हैरान रह गया था कि वह छोटी सी थी लेकिन बात उसने बड़ों जैसी कर दी थी मुझे लगा कि वह मेरे करीब आने से घबरा जाएगी इसीलिए मैं सोफे पर सोने का फैसला कर लिया था लेकिन जब वह खुद कह रही थी कि उसे किसी

तरह का कोई डर नहीं है तो फिर मुझे भी आराम की जरूरत थी मैंने तकिया वापस अपनी जगह पर रखा और आंखें बंद करके लेट गया मेरी आंखें बंद थी लेकिन मेरा दिमाग जगा हुआ था मैंने महसूस किया था कि रागिनी अभी तक बैठी हुई है क्या वह मेरे इंतजार में बैठी हुई थी मैंने आंखें खोलकर उसकी तरफ देखा तो वह मुझे ही देख रही थी फिर मैंने

उससे कहा कि तुम जाकर यह भारी भरकम कपड़े बद दलकर कोई कंफर्टेबल कपड़े पहनकर सो जाओ मुझे भी नींद आ रही है लेकिन मुझे पता नहीं क्यों लगा था कि मेरी बात सुनकर नाराज हुई थी हालांकि मेरी बात सुनकर उसको खुश हो जाना चाहिए था मेरे हिसाब से तो उसे इस रिश्ते के बारे में जानकारी नहीं होगी इतनी छोटी सी तो थी फिर थोड़ी देर

बाद वह ड्रेसिंग रूम में चली गई उसने अपने कपड़े बदल लिए और मेरे बराबर लेट गई तो मैंने उठकर लाइट ऑन कर दी लेकिन सोते समय मुझे पता नहीं क्यों महसूस हो रहा था कि वह बार-बार सरक कर नींद में मेरी तरफ आ रही है मैं बार-बार उसे फिर से उसकी जगह पर आराम से धकेल देता लेकिन वह फिर से सरक कर मेरे करीब आ जाती वह शायद नींद में थी

या उसको ज्यादा नींद में इधर-उधर करवटें बदलने की आदत थी वह तो नींद में यह हरकत कर रही थी लेकिन मैं तो जाग रहा था सिर्फ मैं ही नहीं जाग रहा था उसके यह हरकत मेरे जज्बातों को भी जगा रही थी एक बार तो वह मेरे इतने करीब हो गई कि मेरे दिल की धड़कनों में शोर मच गया था मेरी सांसें तेज हो गई थी मेरे सामने एक लड़की थी वह

भी मेरी पत्नी थी और मैं उस पर पूरा हक रखता था कि इतनी छोटी सी बच्ची के साथ में इस तरह का रिश्ता बनाऊं और यह कानूनी जुर्म भी था कल को अगर पुलिस को इस शादी की खबर हो जाती तो रागिनी के मेडिकल चेकअप के बाद मुझे कोई ना कोई सजा जरूर होनी थी क्योंकि साबित हो जाता कि बेशक मैंने सिर्फ उससे शादी ही नहीं की बल्कि उसके

साथ पति-पत्नी वाला रिश्ता भी कायम किया है और मैं सही सोच रहा था इसलिए मैंने बेहतर यही समझा कि मैं उसे दूर ही रहूं इसलिए मैंने रागिनी को खुद से अलग किया और दूसरी तरफ करवट बदल लिया सारी रात मैं बेचैन ही रहा सुबह जब मेरी आंख खुली तो बहुत देर से खुली थी मैंने देखा रागिनी अभी तक सो रही है मैं आराम से उठकर खड़ा

हुआ और घर से बाहर निकल गया और सारा दिन बेचैन ही रहा मैं नौकरी की तलाश में था कि मुझे जल्दी ही कोई नौकरी मिल जाए लेकिन मुझे बहुत बेचैनी हो रही थी रागिनी को लेकर मैं कैसे उसके साथ इतने साल एक ही कमरे में गुजार सकता हूं मैंने सोचा कि मैं रागिनी की मां से बोलूंगा कि हमारा कमरा अलग-अलग कर दें जब तक कि वह 18 साल

की नहीं होती रागिनी एक ऊंचे लंबे कद की लड़की थी और बेहद खूबसूरत थी वह 15 साल की लड़की नहीं लगती थी 17 साल की लगती थी खूबसूरत इतनी थी कि किसी गुड़िया की तरह लगती थी लेकिन मैं तो उसे हमेशा बच्चों की तरह ही समझता था मैं ज्यादा रागिनी से बात चीत नहीं किया करता था मैं तीन साल से इस घर में ऐसे रह रहा था जैसे मैं इस घर में

मौजूद ही ना हूं मैं सारा दिन लगभग घर से बाहर ही रहता था और सिर्फ खाने और सोने के लिए ही घर आता था या फिर मांसी कोई काम देती तो तब उनके लिए सौदा वगैरा लाने के लिए घर आ जाता था या बिजली का बिल जमा करना होता या गैस भरवानी होती तो ऐसे ही छोटे मोटे कामों के लिए मासी मुझे बुलाया करती थी और मैं उस समय घर आ जाया करता था

मैं बिना मतलब घर पर बैठने वाले लड़कों में से नहीं था नौकरी की तलाश मैं में घर से बाहर निकलता था मुझे नौकरी तो नहीं मिलती थी लेकिन कुछ ना कुछ काम जरूर करता था ताकि कुछ पैसे हाथ आ सके मांसी के घर मेरी जिंदगी बहुत ही आराम से गुजर रही थी कि एक दिन मांसी ने मुझसे एक ऐसी जिद कर दी कि मैं ख्याल भी नहीं कर सकता था मांसी

की तबीयत तो थोड़ी खराब हुई तो उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि मेरी जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है मैं चाहती हूं कि तुम मेरी बेटी से शादी कर लो मांसी की इस बात पर मैं हैरत में डूब गया था क्योंकि उनकी बेटी रागिनी सिर्फ 15 साल की थी और मैं कैसे छोटी बच्ची से शादी कर सकता था मेरी उम्र इस समय 26 साल थी और वह

मुझसे पूरे 11 साल छोटी थी लेकिन मासी ने तो जैसे उसको बहुत बड़ी समस्या बना लिया और रोना शुरू कर दिया काफी दिन तक मुझे जज्बाती तौर पर ब्लैकमेल करती रही मना करते हुए भी मुझे बुरा महसूस हो रहा था क्योंकि मैं तीन साल से मांसी के घर में पल रहा था खा पी रहा था और मुझ रहने के लिए छत मिली हुई थी यहां किसी भी तरह की

कोई तकलीफ ना थी मासी के अलावा मेरे पास मेरे मामा का घर था और वहां मुझे दिन रात बेइज्जत किया जाता था हर समय मेरी इंसल्ट की जाती थी मुझे निकम्मा नकारा कहकर हर समय मेरा दिल जलाया जाता था उसके उलट में यहां सुकून से रह रहा था मैं इसी कोशिश में लगा हुआ था कि कुछ ना कुछ कारोबार शुरू कर लूं और जब तक मेरे पास कारोबार

शुरू करने के लिए अच्छा खासा पैसा नहीं आ जाता तो तब तक मैं मांसी के घर पर ही रहूं और जो पैसे में थोड़े बहुत ऑनलाइन कामों से कमा रहा था और कोचिंग से कमा रहा था उनको मैं अपने पास सुरक्षित रखना चाहता था ताकि ज्यादा पैसे जमा हो सके तो मैं अपना कोई कारोबार शुरू कर सकूं और उसके बाद अपना कोई छोटा मोटा घर ले लूं नहीं तो

किराए का घर ही ले लूं लेकिन अपने रहने का इंतजाम कर लूं लेकिन मैं इतनी जल्दी खर्चा नहीं कर सकता था मैं तो खाने पीने की चीजों में भी खर्चा नहीं करता था खाना पना भी मेरी मांसी के ऊपर था अपने खाने पीने का खर्चा तो मैं कमा ही लेता था लेकिन मैं उसको भी संभाल कर रखता जा रहा था यह मेरी मसी ही थी जिसने मुझे सहारा दिया मुझे कभी

निकम्मा होने का ताना नहीं दिया और मुझे बगैर दिल दुखाए अपने पास रखा मामा के घर में मुझे खाना तो मिलता था लेकिन यह खाना खाने के लिए मुझे 100 100 बातें सुननी पड़ती थी लेकिन अब मांसी ने मेरे सामने ऐसी बात रखी थी कि जिसे मैं ना स्वीकार कर पा रहा था ना ही इंकार कर पा रहा था मासी की मुझ पर इतने एहसान थे कि मैं उन्हें

इंकार कर ही नहीं सकता था लेकिन यह मामला इतना नाजुक था कि मैं हां भी नहीं कर पा रहा था अगर मैं इंकार कर देता तो यकीनन मांसी का दिल टूट जाता वैसे ही वह अभी इतनी बड़ी बीमारी से लड़ रही थी उनके हार्ट में प्रॉब्लम हो गई थी डॉक्टर ने उन्हें कोई भी सदमा देने से मना किया था और मैं उन्हें कोई सदमा देना नहीं चाहता

था अगर मेरी वजह से मांसी को कुछ हो जाता तो मैं जिंदगी भर खुद को माफ नहीं कर पाता दूसरा मेरी इस बात से मांसी का दिल दुख सकता था वह मुझे इस घर से निकाल भी सकती थी या फिर शायद वह मुझे अपने घर में रख भी लेती लेकिन मैं उनसे नजरें मिलाने के काबिल ना रहता बहुत सोचने के बाद मैं उनकी बेटी से शादी करने की बात मान लिया लेकिन

मेरी शर्त यह थी कि विदाई 5 साल के बाद की जाए लेकिन मांसी की बात सुनकर तो मेरे सर पर धमाका हुआ जब उन्होंने कहा कि उन्हें विदाई भी साथ ही करनी है मैंने कहा ऐसे भी कोई मुसीबत नहीं आई है कि जल्दी विदाई हो मैं कहीं भागा नहीं जा रहा और भगवान की कृपा से आप अब बिल्कुल ठीक हैं आपको कुछ नहीं होगा तो मासी ने कहा कुछ भरोसा नहीं

है कि कल को तुम्हें कोई और लड़की पसंद आ जाए और तुम मेरी बेटी को छोड़ दो और दूसरी लड़की के पीछे लग जाओ क्योंकि अब तुम भी जवान खून हो कोई भी लड़की तुमको अपनी मोहब्बत के जाल में फंसा सकती है और फिर तो मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी तुम सोचोगे कि एक शादी ही तो है तुम्हारे बीच कोई पति-पत्नी वाला रिश्ता नहीं है और

ना बच्चों की डोर है जो तुम्हें बंद कर रखेगी इस रिश्ते को खत्म करना तुम्हारे लिए आसान है इसलिए मैं चाहती हूं कि तुम्हारी विदाई भी हो जाए और तुम दोनों पति-पत्नी की तरह रहने लग जाओ मासी ने तो हर तरफ से मेरा रास्ता बंद कर दिया था उनकी बात भी अपनी जगह सही थी बल्कि अगर मैं कहूं कि उनका डर अपनी जगह सही था कि

हर मां को यह डर होता है कि उसकी बेटी का क्या फ्यूचर होगा और रागिनी छोटी थी और मुमकिन था कि मैं किसी किसी और की मोहब्बत में गिरफ्तार होकर किसी और से शादी कर भी सकता था क्योंकि मुझे आए दिन काम के सिलसिले में लड़कियों का सामना करना पड़ जाता था ऑनन लाइन भी मेरी काफी स्टूडेंट लड़कियां थी जिसे मेरी अच्छी खासी दोस्ती

थी हो सकता था कि उनमें से कोई मुझे अच्छी लग जाए और मेरा इरादा बदल जाता बहुत ज्यादा सोचने के बाद मैं रागिनी से शादी की हामी भर ली थी और विदाई के लिए भी तैयार हो गया था क्योंकि मेरे पास अभी फिलहाल रहने की कोई जगह नहीं थी जितने पैसे में जमा कर चुका था वह घर लेने के लिए काफी नहीं थे और अगर घर ले भी लेता तो

फिर खाना पीना कहां से होता सारी बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने रागिनी से शादी में ही भलाई समझी और इसी को अपनी किस्मत समझ लिया सोचा बस कुछ साल इंतजार करता हूं वह बड़ी हो जाएगी उसके बाद ही मैं उसके साथ कोई रिश्ता रखूंगा बस ठीक है जिंदगी अच्छी गुजर जाएगी रागिनी के साथ या फिर यह भी हो सकता है कि बड़ी होकर रागिनी का

दिमाग बदल जाए और वह खुद ही शादी के लिए इंकार कर दे क्योंकि मैं उसे पूरे 11 साल बड़ा था अगर वह ऐसा करती तो मेरे लिए यह आसानी हो जाती और मेरा रास्ता साफ हो जाता लेकिन रागिनी की हरकतें तो मुझे कुछ और ही पता दे रही थी वह इतनी भी छोटी नहीं थी जितनी छोटी मैं उसे समझ रहा था मैंने महसूस किया था कि बहाने बहाने से वह मेरे

करीब होने की कोशिश करती है फिर मुझे मु लगा कि यह शायद मांसी की पढ़ाई हुई है कि उन्होंने ही रागिनी को यह समझाया होगा कि किसी तरह वह मुझसे पति-पत्नी वाला रिश्ता बना ले ताकि जल्दी ही रागिनी उम्मीद से हो जाए और हम दोनों एक मजबूत डोर में बन जाए मुझे मासी की इस सोच पर अफसोस हो रहा था उन्हें अपने बच्ची की सेहत की चिंता नहीं

थी बस उसका फ्यूचर सुरक्षित करना था मैं कोई भगा तो नहीं जा रहा था लेकिन कुछ समय बाद मेरा यह ख्याल भी गलत साबित हो गया कि मांसी की पढ़ाई हुई है मैंने महसूस किया कि रागिनी तो खुद इस टाइप की है कि उसका दिमाग वक्त से पहले बड़ा हो गया है वह हर समय सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती है और शायद उसे इस रिश्ते के बारे में सब कुछ

मालूम था और उसके अंदर जज्बात पैदा हो गया था और मैं उसका पति था इसलिए वह सोच रही थी कि जल्द से जल्द मैं उसके करीब आ जाऊं इस उम्र में लड़कियों में हार्मोन के बदलाव शुरू हो जाते हैं और उन्हें यह इच्छा बहुत ज्यादा हो जाती है कि कोई लड़का उनके बहुत करीब हो जाए यह उम्र लड़कियों की बहुत ही नाजुक उम्र होती है

कहते हैं इस उम्र में लड़कियों को मां-बाप के केयर बहुत ज्यादा जरूरत होती है अगर ऐसे में उनके ऊपर ध्यान ना दिया जाए तो वह अपने राह से भटक जाती है और रागिनी भी उसी उम्र से गुजर रही थी उसके अंदर बदलते हार्मोस उसे तंग कर रहे थे शायद रागिनी को यह इच्छा थी कि मैं उसके करीब जाऊं और एक रिश्ता कायम करूं और इसलिए वह बेधड़क मेरे

सामने आ जाती थी रात में हम एक ही बेड पर सोते थे तो वह मेरे करीब आ जाती अच्छे से तैयार होकर और मुझे अपनी तरफ खींचने की कोशिश करती थी वह अभी सिर्फ 10थ क्लास में थी मैं जब उसे स्कूल छोड़ने जाता तो वह मेरी बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठने की कोशिश करती थी मैं उसे कहता पीछे हटकर बैठो तुम कुछ देर के लिए पीछे हो जाती है

और फिर दोबारा से फिर मेरे करीब हो जाती मेरे दिल की धड़कनों में तूफान मच जाता था लेकिन मैं खुद पर कंट्रोल करता था मुझे उसकी हरकतों पर गुस्सा आने लगा कानूनी तौर पर भी मैं कुछ डरा हुआ था कि कहीं मैं पकड़ा ना जाऊं यह कानूनन जुर्म है और अगर किसी ने मेरी चुगली कर दी तो मैं जेल की सलाखों के पीछे भी जा सकता हूं

कुछ दिनों से मैंने देखा रागिनी की दिमागी हालत दिन बदन अब खराब होती जा रही है उसे इस बात की परेशानी थी कि मैं उसके करीब नहीं जा रहा हूं लेकिन एक दिन मेरी बर्दाश्त की हद खत्म हो गई जब उसने खुद ही मेरे बहुत ज्यादा करीब आने की कोशिश की शायद उसको खुद पर क नहीं रहा था और वह मेरे सीने से लग गई मेरे शरीर में भी जैसे

आग लग चुकी थी लेकिन मुझे रागिनी की यह हरकत बिल्कुल पसंद नहीं आई थी गुस्से के मारे मेरा बुरा हाल था और इसी गुस्से में मैंने उसे झटक दिया तो वह रोने लगी बोली मैं आपकी पत्नी हूं आप मुझसे दूर क्यों रहते हैं मैंने उससे कहा पहले अपनी उम्र देखो फिर ऐसी बातें करो मेरा गुस्से के मारे बुरा हाल था मैंने उसको बहुत ज्यादा

डांट दिया था

ना जाने कितनी बुरी बात सुनाई और घर छोड़कर चला गया दो दिन तक घर से बाहर ही रहा और अपना मोबाइल भी बंद कर दिया और यह दो दिन में अपने दोस्त के घर पर रहा मैं दिमागी तौर पर बहुत ज्यादा परेशान था घर वापस आया तो मांसी बहुत परेशान थी उन्होंने कहा कि मुझे पता था तुम मेरी बेटी को छोड़कर चले जाओगे यही डर

था मुझे मैंने देखा कि रागिनी का रंग पीला पड़ा हुआ है और उसकी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही थी वह शायद मेरे घर छोड़कर जाने की वजह से बहुत ही परेशान थी मुझे पहली बार अपनी गलती का एहसास हुआ था मैं मांसी से बहाना कर दिया कि मैं दो दिन के लिए शहर से बाहर गया था मुझे रागिनी कुछ चुपचाप सी लग रही थी मुझे खुद पर अफसोस होने लगा

मुझे उससे ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था वह बच्ची है अभी बहुत ही नाजुक उम्र से गुजर रही है और उसे अभी प्यार से समझाना चाहिए गुस्से से नहीं मैं कमरे में गया तो रागिनी अपना तकिया उठाकर सोफे पर जाने लगी क्योंकि उस दिन मैंने गुस्से में उसे बहुत कुछ सुना दिया था उस दिन मैंने गुस्से में से यह भी कह दिया था कि तुम आज के बाद

मेरे साथ बेड पर नहीं सोगी वरना मैं कमरे से बाहर निकल जाऊंगा मुझे अपनी बात याद आई तो मैंने रागिनी को पुकारा मेरे पुकारने पर वह एकदम से डर गई थी कहने लगी प्लीज कमरे से बाहर मत जाइएगा मैं सोफे पर ही सो जाया करूंगी उसकी बात सुनकर मैं शर्मिंदा हुआ था मैंने गहरी सांस भरी और उठकर रागिनी के पास आया उसका हाथ थामा और उसे

बड पर बैठा दिया आई एम सॉरी मैं गुस्से में तुमसे बहुत कुछ गलत बोल गया मेरी जरा सी नरमी पाकर वह रोने लगी रोते हुए मेरे साथ लग गई मैं उसे चाहकर भी खुद से पीछे नहीं कर पाया था बल्कि उसे और अपने साथ लगा लिया वह सिसकियों से रो रही थी कहने लगी मुझे पता है कि मैं आपको बहुत बुरी लगती हूं मम्मी के मजबूर करने पर आपने

मुझसे शादी की है उसकी बात सुनकर मैं उसका चेहरा ऊपर किया मैंने कहा तुम मुझे नहीं लगती बल्कि अच्छी लगने लगी हो तुम अब तुमसे दूर रहना मुझे मुश्किल लगने लगा है और तुम्हारे पास में आ नहीं सकता क्योंकि तुम बहुत कम उम्र हो मैं तुम्हें इतनी कम उम्र में किसी मुसीबत में नहीं डालना चाहता तृप्ति मैंने आज उसे अपना हर डर बता

दिया था मुझे लगा यह सुनकर उसे सुकून हो जाएगा लेकिन वह तो और भी ज्यादा परेशान हो गई थी और किसी गहरी सोच में डूब गई थी समय कुछ और आगे को बढ़ा तो रागिनी का पेट फूलने लगा उसकी रंगत भी पीली पड़ने लगी मांसी भी उन दिनों कुछ चुप-चुप सी थी काफी बीमार भी रहने लगी थी मैं मांसी से रागिनी के बारे में कहा कि उसे डॉक्टर के पास ले

जाएं तो मांसी कहने लगी मैं उसे डॉक्टर के पास ले गई थी उसे दवा दे रही हूं ठीक हो जाएगी मांसी की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई उनके सीने में फिर से तेज दर्द उठा था मैं जब तक उन्हें अस्पताल लेकर गया वह दम तोड़ चुकी थी यह सदमा रागिनी के लिए भी बहुत बड़ा था उस समय मैंने ही उसे संभाला था लेकिन अब मैंने महसूस किया कि उसका पेट

बहुत ज्यादा बड़ा होने लगा है मैं उसे डॉक्टर के पास लेकर गया डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड किया और जो कुछ मुझे बताया मेरे होश उड़ गए डॉक्टर कहने लगी आपकी पत्नी पाच महीने की प्रेग्नेंट है यह सुनकर तो मेरा दिमाग घूम कर रह गया था मैं जिसे बच्ची समझ रहा था और उसे बच्ची समझकर उसके पास नहीं जाता था वह कम उम्र में ही

यह गुल खिला बैठी थी और अपना गुनाह छुपाने के लिए मुझसे शादी की थी मांसी की जल्दबाजी अब मुझे समझ आई थी रागिनी का मेरे करीब आना मुझे अब समझ आया था मेरी अकल हैरान थी इतनी सी उम्र में रागिनी य सब कैसे कर सकती थी डॉक्टर कहने लगी आपकी पत्नी बहुत कम उम्र है उसका बहुत ख्याल रखें वरना डिलीवरी में मुश्किल पैदा हो

सकती है मैं जब घर वापस आया तो रागिनी को कमरे में ले गया उसे बेड पर ले जाकर पटक दिया मैंने कहा मुझे नहीं पता था कि इतनी सी कम उम्र में तुम यह सब कुछ भी कर सकती हो तुम्हें और मासी को मैं ही मिला था तुम्हारा यह पाप छुपाने के लिए वह रोने लगी कहने लगी मेरा कोई दोस्त नहीं है मेरे ओनट ड्राइवर ने जबरदस्ती मेरे साथ यह कहकर

वह सिसक सिसक कर रोने लगी कहने लगी मम्मी मुझे डॉक्टर के पास ले गई थी लेकिन डॉक्टर ने अबॉर्शन से मना कर दिया कि मैं अभी बहुत कम उम्र हूं और तकलीफ सह नहीं सकती मैं यह सुनकर सर पकड़कर बैठ गया था रागिनी कहने लगी मुझे तलाक मत दीजिएगा बेशक आप दूसरी शादी कर ले लेकिन मुझे अकेला मत छोड़िए मेरा कोई दोष नहीं है वह मेरे कदमों में बैठी हुई थी लेकिन

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मैं उसकी तरफ देख भी नहीं रहा था उसने और उसकी मां ने मुझे जो धोखा दिया था वह मुझे सहन नहीं हो रहा था मैं उसे धक्का देकर कमरे से बाहर निकल आया हमेशा हमेशा के लिए मैं काफी दिनों से दुबई जाने की तैयारी कर रहा था मैं सोच रहा था कि मैं रागिनी को उसकी मां के पास छोड़कर दुबई चला जाऊंगा चार पाच साल बाद आऊंगा तब तक रागिनी लगभग

19 साल की हो जाएगी और फिर मैं उसके साथ अपनी शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत करूंगा लेकिन आज जो सच मेरे सामने खुलकर आया था मेरी हस्ती को हिलाकर रख दिया था दुबई जाने के मेरे सारे पेपर तैयार थे मैं अगले दिन ही रागिनी को बिना बताए दुबई चला आया उस समय मेरे दिमाग में बिल्कुल नहीं आया था कि वह एक अकेली कम उम्र लड़की है जो कि

मां बनने वाली थी और अभी तो उसके पास उसकी मां भी नहीं थी वह अकेली थी उसका क्या होता मैंने बिल्कुल भी नहीं सोचा था उस समय मैं बस गुस्से में था और गुस्से में यह फैसला मैंने कर लिया था मैं उसे छोड़कर दुबई आ गया और काम की तलाश में लग गया कुछ महीनों बाद मुझे एक अच्छी जगह नौकरी मिल गई थी और मैं अपनी जिंदगी में व्यस्त हो

गया मुझे नहीं पता मेरे पीछे से रागिनी का क्या हुआ था लेकिन जो कुछ मैंने किया था शायद गलत किया था और यह एहसास मुझे चैन नहीं लेने देता था मैं रातों को उठकर बैठ जाता रागिनी का ख्याल मुझे परेशान करता था और यूं ही वक्त गुजरता रहा और दो साल बीत गए और दो साल के बाद मैं हिंदुस्तान वापस आया था क्योंकि मेरा दो साल का कांट्रैक्ट

था वह खत्म हुआ था और मुझे दो महीने की छुट्टियां मिली हुई थी सच कहूं मैं तो सिर्फ रागिनी की खातिर हिंदुस्तान आया था वरना हिंदुस्तान में मेरा था ही कौन मेरा दिल इन दो सालों में बहुत बेचैन रहा था और मेरा जो दो साल का एग्रीमेंट था उसके खत्म होते ही मैं सीधा हिंदुस्तान आया था मैं एक बार अपनी आंखों से देख लेना चाहता था

कि रागिनी ठीक है या नहीं उसके बाद मैं निश्चिंत हो जाता लेकिन घर आकर जो मैंने देखा मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थी क्या वह वाकई रागिनी थी एकदम हड्डियों का ढांचा वह सामने सोफे पर पड़ी हुई थी चेहरा ऐसा जैसे किसी ने पीला रंग लगा दिया हो हाथ पैर सुख करर लकड़ी के समान हो गए थे मैं तड़प कर उसके पास पहुंचा था उसने आंखें

खोलकर मुश्किल से मुझे देखा था मुझे देखकर शायद उ विश्वास नहीं आया था उसने मुझे छूकर महसूस किया मैंने कहा रागिनी हा मैं ही हूं और फिर उसकी आंखों से आंसू बह चले थे वह रोने लगी और बोली तुम्हारे जाने के बाद मैं बहुत तकलीफ सही है पता नहीं भगवान ने अब तक मुझे जिंदा क्यों रखा है वरना शायद मैं मर तो उसी दिन जाती जब मैंने एक

मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था वह तकलीफ याद करती हूं तो अब भी सहम जाती हूं उस समय मुझे तसल्ली देने वाला कोई कोई भी अपना नहीं था वह अपनी आप बीती सुना रही थी और मैं बस उसे सुन रहा था मेरा दिल उसकी हालत पर खून के आंसू रो रहा था उसकी हालत का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मैं था वह कहने लगी तुम्हारे जाने के बाद मेरा कोई

नहीं था पापा की जो पेंशन अती थी उससे मैं अपना खर्चा चला रही थी लेकिन जिंदगी जीने की कोई उमंग ही नहीं बची थी बस मर जाने की दुआएं मांगा करती थी मैं तुम्हें इस बात का कसूरवार नहीं ठहरती क्योंकि तुम्हारे साथ भी धोखा ही हुआ था लेकिन शायद गलती इसमें मेरी भी नहीं थी जो कुछ हुआ मेरे साथ हुआ वह जबरदस्ती किया गया था मैं उसे

बांहों में उठाकर अस्पताल लेकर भागा था उसके सारे चेकअप होने के बाद पता चला कि उसे टीवी हो गया था मैं उसे अपने साथ दुबई ले आया और वही उसका इलाज करवाने लगा पूरा एक साल लगा था उसे बिल्कुल ठीक होने में मैंने उसे हाथ जोड़कर माफी मांग ली थी मैंने कहा मुझे माफ कर दो जो कुछ किया मैं ने गुस्से में कदम उठाया था मुझे ऐसा नहीं

करना चाहिए था रागिनी का दिल वाकई बहुत बड़ा था उसने मुझे माफ कर दिया उस दिन मैंने रागिनी को सच्चे दिल से अपनी बांहों में भरा था उसे अपनी पत्नी स्वीकार किया था हमने अपनी जिंदगी की नई शुरुआत की थी और पढ़ने के लिए

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